तुम्हारी इन उलझनों में, मेरी तन्हाइयों में, सिर्फ मोहब्बत बस मोहब्बत छुपी है। तुम्हारी इन उलझनों में, मेरी तन्हाइयों में, सिर्फ मोहब्बत बस मोहब्बत छुपी है।
बेजान शरीर को जिसकी वीराने आंगन मेें अपने मैंने खुद ही दफनाया था। बेजान शरीर को जिसकी वीराने आंगन मेें अपने मैंने खुद ही दफनाया था।
तो जीना हो जाता आसान कहीं दर्द में भी मिलता आराम कहीं। तो जीना हो जाता आसान कहीं दर्द में भी मिलता आराम कहीं।
आज इस कलियुग में निष्काम प्रेम बहुत कम ही देखने को मिलता है। हर व्यक्ति स्वार्थी प्रेम आज इस कलियुग में निष्काम प्रेम बहुत कम ही देखने को मिलता है। हर व्यक्ति स्वार्थी...
समझ लेना सर धड़ सेे फेविकोल से चिपका है ओ मेरे आका। समझ लेना सर धड़ सेे फेविकोल से चिपका है ओ मेरे आका।
जाने कब खत्म होगा ये कोरोना का रोना । जाने कब खत्म होगा ये कोरोना का रोना ।